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समकालीन साहित्य

जय होस

कविता शेखर ढुंगेल April 28, 2009, 10:05 am

जय होस जय होस जय होस

मेरो जन्म भुमी नेपाल को

अमर रहोस वीर शाहीद का गाथा

नमेटिउन देश का सिमा रेखा

उठोस हात घर घर बाट

बनाउन नेपाल लाई संसार कै खास्सा

जय होस जय होस जय होस

फर्फराइ रहोस चन्द्र सुर्य अन्कित झन्डा

अनन्त सम्म सगरमाथा सिर मा

निधार मा लाली हात मा गुरास थालि

चम्की रहोस स्वाभिमान नेपाल को

युग युग सम्म संसार माझ

जय होस जय होस जय होस

घन्की रहोस घिन्ताङ मादल

नाची रहोस वीर गोर्खाली खुकुरी

तराइ सिचोस हिमाल ले

भकारी भरोस तराइ ले

तोड्न नसकोस हाम्रो बन्धुत्व

कोइ बैरी परदेशि ले

जय होस जय होस जय होस

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